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शुक्रवार, 11 जनवरी 2008

परछाई - न हुई किसीकी

परछाई-
तो आखिर परछाई है
परछाई --
तो न हूई किसीकी- क्योंकी
वह परछाई है।
परछाई-
प्रकाश में होती है,
अंधकार मे नही।
साथ निभाती उजालाभर
अंधेरोमे साथ छोडकर
डरकर कही छूप जाती है
सुख है प्रकाश,
दुख है अंधियारा
सच्ची साथी वह होती है,
जो साथ निभाये
जीवनभर-
सुख और दुख में
सुख में है यह परछाई
दुख में पर--छाई है।