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बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

कैसे बीते दिवस हमारे


कैसे बीते दिवस हमारे,
हम जाने या राम !
         सहती रही सभी कूछ काया
         मलिन हुआ परिवेश,
         सूख चला नदिया का पानी
         सारा जीवन रेत,
उगे काँस मन के फ़ूलोंपर
उजडा रूप ललाम !
         प्यार हमारा ज्यों एक तार
         गूंज-गूंज मर जाय,
         जैसे निपट बावला जोगी
         रो-रो धूल उडाय,
बट पीपल, घर-व्दार, सिवाने
सबको किया प्रणाम !
        आंगन की तुलसी मुरझाई
        क्षीण हुए सब पात
        सांयकाल डोलता सीर पर
        बूढा नीम उदास,
हाय रे वो, बचपन का घरवा
बिना दिए की शाम !
       सुन रे जल, सुनरी ओ माटी
       सुन रे ओ वातास
       सुन रे ओ प्राणोंके दियना
       सुन रे, ओ आकाश
दुःख की इस, तीरथ यात्रा में
पल ना मिला विश्राम !

-संकलित