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शुक्रवार, 6 जुलाई 2007

पथिक

मैं और तुम, पथिक एकही राह्के
तुम चाहती हो फ़ूलोंकी सेजपर चलना
और- मैं..
मैं इन सबसे भिन्न हूं
मैं अपनी मंजिल तय की है
यह एक पहेली है न तुम्हें?
फ़ुलोंको छू कर देखो
कांटे स्वयं ही जवाब देंगे