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शुक्रवार, 6 जुलाई 2007

भ्रमंती

 जीवन सफ़रमें
 दो पंछी
 बेसहारा उडते जाते
 जीवन की चित्रांकित रेखाओने
 बना दिये उनके दो घर
 एक उषा के नाम
 एक निशा के नाम
 और मैं-
 एक बेहाल भौंरा
 छूपा फ़ूलकी कायामें
 कल की उषा की प्रतीक्षामें

1 comments:

शोभा ने कहा…

जीवन सफ़र में दो पंछी -- अच्छा रूफक है ।
भावपूर्ण रचना । बधाई